मुंबई: गेटवे ऑफ इंडिया पर आयोजित ग्यारहवें अखिल भारतीय मुशायरा ‘जश्न-ए-हिंदुस्तान’ में शायरा डॉ. प्रज्ञा शर्मा ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से अम्न और शांति का पैगाम दिया। उन्होंने कहा-
“दिलों के बीच कोई रास्ता बनाते हैं,
मोहब्बतों के सफ़र को नया बनाते हैं।
कई उदास ख़यालों को जी के देख चुके,
चलो ख़याल कोई ख़ुशनुमा बनाते हैं।
जिन्हें जुनून हो लहरों से जंग करने का,
समुंदरों में वही रास्ता बनाते हैं।”
डॉ. प्रज्ञा को श्रोताओं की भरपूर मोहब्बत व सराहना मिली।
यह कार्यक्रम राज्य सरकार के अल्पसंख्यक विकास विभाग के तहत आने वाली महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित किया गया। मुशायरे को सुनने के लिए अन्य राज्यों से भी श्रोतागण पधारे।
2013 से गेटवे ऑफ इंडिया पर हर साल अखिल भारतीय मुशायरा आयोजित किया जाता है। यह आयोजन उर्दू साहित्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।
गेटवे ऑफ़ इंडिया के इस कार्यक्रम में तीसरी बार आमंत्रित, मशहूर लेखिका व शायरा डॉ. प्रज्ञा शर्मा ने अपनी ग़ज़लों के ज़रिए देश में शांति और भाईचारे का संदेश दिया। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति दर्शकों के दिलों पर हमेशा की तरह अमिट छाप छोड़ने में क़ामयाब रहीं।
उल्लेखनीय है कि डॉ प्रज्ञा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर मंच एवं साहित्य की दुनिया का जाना पहचाना नाम हैं, जो लगभग दो दशकों से कवि सम्मेलनों और मुशायरों में शिरकत कर रही हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश दिवस के मौके पर उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त साझेदारी से आयोजित एक सम्मान समारोह में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ‘अमरजीत मिश्रा’ की संस्था ‘अभियान’ द्वारा साहित्य में उनके योगदान के लिए ‘उत्तर साहित्य श्री’ सम्मान से नवाज़ा गया।
कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव, अल्पसंख्यक विभाग के सचिव अनूप कुमार यादव, प्रमुख सचिव विकास खड़गे, अनूप कुमार सहित तमाम अन्य गणमान्य व्यक्ति, फ़िल्मी हस्तियाँ और साहित्यकार उपस्थित रहे। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव ने लेखकों को सम्मानित किया।
इस वर्ष कार्यक्रम में कैसर खालिद, डॉ. प्रज्ञा शर्मा, मदन मोहन दानिश, शारिक कैफी, रंजीत चौहान, हामिद इकबाल सिद्दीकी, शाहिद लतीफ, डॉ. जाकिर खान जाकिर, समीर सावंत, उबैद आज़म आज़मी, जैसे नामी गिरामी शायरों ने शिरक़त की और अपने कलम अपनी ग़ज़लों की ताक़त से श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा। सबने एक स्वर में सामाजिक समरसता व सौहार्द को बढ़ावा देने वाले इस आयोजन की भूरि- भूरि प्रशंसा की।
अखिल भारतीय मुशायरा कार्यक्रम ‘जश्न-ए-हिंदुस्तान’ उर्दू शायरी का उत्सव है जो देश में शांति और एकता को बढ़ावा देने का एक माध्यम बन चुका है। इस तरह के आयोजन लोगों को बताते हैं कि कविताएँ किस प्रकार समाज में सद्भाव को बढ़ावा दे सकती है।