देश की उन्नति में भाषा और साहित्य का अहम योगदान होता है। राष्ट्रभाषा ही देश के नागरिकों को एकता के सूत्र में पिरोते हुए हमारे विचार व संवाद एक-दूसरे तक पहुंचाती है। इसके चलते हिंदी देशवासियों के बीच एक सेतु की तरह है। हिंदी भाषा विश्व में चीन के बाद सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और विदेशों में करीब 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं तथा इस भाषा को समझने वाले लोगों की संख्या करीब 90 करोड़ से अधिक है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में हिंदी का प्रचार-प्रसार खूब फलता-फूलता दिख रहा है। वहीं आज इंटरनेट पर हिंदी साहित्य से संबंधित लगभग सौ ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध हैं। इसी कड़ी में इंटरनेट व सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए कई साहित्यिक संस्थाओं, लेखकों, साहित्य प्रेमियों व युवाओं ने हिन्दी साहित्य को भरपूर प्रचार-प्रसार किया। 

हिन्दी दिवस 2022 पर हम ऐसे ही कुछ चुनिंदा शख्सियतों से रूबरू कराने जा रहें हैं, जिनका योगदान काफी सराहनीय रहा हैं।  

संजीव सराफ़, हिन्दवी, रेख़्ता फ़ाउंडेशन (Sanjiv Saraf, Hindwi, Rekhta Foundation)

अगर आप साहित्य में रुचि रखते हैं और इंटरनेट का इस्तेमाल करतें है और सोशल मीडिया से जुड़ें हैं, तो आप शायद ही  रेख़्ता से अनभिज्ञ हो। हिन्दी और उर्दू भाषा प्रचार-प्रसार में संजीव सराफ़ की संस्था का योगदान बेहद अतुल्यनीय हैं। हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से रेख्ता फाउंडेशन के प्रमुख उपक्रम के रूप में दो साल पूर्व मुंशी प्रेमचंद की जयंती के मौके पर  ‘हिन्दवी’ की नींव रखी गई। 

इस समय हिन्दवी वेबसाइट पर हिंदी काव्य-परंपरा के सभी प्रमुख कवियों और अलक्षित कवियों सहित 900 से अधिक नए-पुराने कवियों की 10000 से अधिक कविताएं, 1200 पद, 1800 दोहे और लगभग 400 से अधिक लोकगीत उपलब्ध हैं। संजीव सराफ़ कहते हैं, ‘हिंदी वह भाषा है जो विविध  भारतीय भाषाओं और  संस्कृतियों को जोड़ती है।’

प्रवीन अग्रहरि, तीखर (Praveen Agrahari, Teekhar)

‘हिन्दी साहित्य के नये शिल्पकार’ तीखर की यह टैगलाइन तीखर के कार्यों को बयां करती है। क्लासिक हिन्दी से लेकर नये युवाओं के कविताएं और रचनाएं आदि को सजा सँवारकर इंटरनेट में पोस्टर और वीडियो के माध्यम से धूम मचाने वाली संस्था तीखर 2018 में बनी थी। इसके फाउन्डर प्रवीन अग्रहरि बताते हैं कि आज से 5 साल पहले हिन्दी साहित्य इंटरनेट में ज्यादातर टेक्स्ट फॉर्म में होता था। लेकिन आज व्हाट्सअप स्टेटस, फ़ेसबुक पोस्ट में हिन्दी की रचनाएं, लाइंस कोटेशन देखकर उनको खुशी होती है। मैथलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, निराला, कबीर, मीरा आदि जैसे हर दौर के लेखक एवं कवि की रचनाएं तीखर पोस्टर के रूप में नये ढंग से प्रकाशित करती है। 

प्रवीन अग्रहरि का मानना है कि 2-3 लाइन पढ़कर ही लोग उस रचनाकार की रचनाएं पढ्न को उत्सुक होते हैं। पोस्टर उनके लिए पाठकों को रचनाकारों तक पहुँचाने का माध्यम है। वह एक सेतु का काम कर रहे हैं जिससे कि पाठक अपने प्रिय रचनाकार की रचनाओं तक पहुँचता है। पोस्टर के साथ-साथ वीडियो, रील्स और शॉर्ट्स भी तीखर की कलात्मकता के साथ जुड़े हैं। प्रवीण अग्रहरि की संस्था तीखर वर्तमान में बुन्देलखण्ड लिट्रेचर फेस्टिवल के साथ सम्बद्ध हैं, जो कि झांसी में भव्य साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन करता है। तीखर गत वर्ष इंदौर में आयोजित लिट् चौक में एसोसिएट पार्टनर की भूमिका में रहा। 

ललित कुमार, कवितकोश, गद्यकोश (Lalit Kumar, Kavita Kosh, Gadya Kosh)

दिल्ली के मेहरौली में एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर ललित कुमार इंटरनेट पर भारतीय साहित्य के सबसे विशाल कोश ‘कविता कोश’ और गद्य कोश का निर्माण कर जनमानस को भारतीय साहित्य की परंपरा और समृद्धता से जोड़कर साहित्य के प्रति लोगो की रुचि जाग्रत करने का कार्य किया हैं। 

ललित कुमार बताते हैं कि 5 जुलाई 2006 को कविता कोश शुरुआत हुई। प्रारम्भिक दिनों में ललित स्वयं ही संचालित करते थे फिर लोगों को को जुड़ना हुआ और कविता कोश काव्य संग्रह का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया  हैं। कविता कोश में 40 से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं के काव्य शामिल है। 

ललित बचपन से ही दिव्यांग हैं और दिव्यांगो की सामाजिक स्थितियों और उनकी वेदना में समाज को साझीदार बनाने के लिए उन्होंने दो साल पहले ललित दशमलव नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। भारत सरकार ने ललित को वर्ष 2018 के राष्ट्रीय पुरस्कार, रोल मॉडल, दिव्यांग सशक्तिकरण सम्मान से सम्मानित किया है। 

मोहित द्विवेदी, द मॉडर्न पोएट्स (Mohit Dwivedi, The Modern Poets)

दिल्ली के रहने वाले मोहित द्विवेदी एक पोएट हैं, स्टोरी टेलर हैं। इन्होंने 2017 में अपने दोस्त अंशुल जोशी के साथ मिल कर द मॉडर्न पोएट्स की शुरुआत की। अब तक द मॉडर्न पोएट्स ने तक़रीब 200 से ज़्यादा साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कराया, जिसके माध्यम से 5,000 से भी ज़्यादा 30 शहरों में ने नए कलमकारों को मंच मुहैया करा चुका है। 

साथ ही अपने कार्यक्रमों जैसे कि ‘एक है अमृता, कथाकार’, ‘मंटोईयत’, ‘तमाशा’, ‘ओ वुमनिया’ व अन्य से प्रसिद्ध साहित्यकार, सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाता आया है जिसे दर्शकों ने काफी प्यार से नवाजा भी है। मोहित व अंशुल बताते हैं कि, ‘’हम सब परिवार हैं। और एक परिवार की तरह ही कि मॉडर्न पोएट्स को एक बढ़ते पेड़ की तरह सँवार रहें हैं।’’  फिलहाल इंस्टाग्राम पर 13 हजार से अधिक साहित्य प्रेमी इनसे जुड़ें हुए हैं, वहीं फेसबुक पर 34 हजार लोग द मॉडर्न पोएट्स को फॉलो करते हैं। 

अंकुश कुमार, हिन्दीनामा (Ankush Kumar, Hindinama)

28 वर्षीय अंकुश कुमार यूपी के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गाँव परतापुर से आते हैं। अंकुश हिंदी के प्रचार प्रसार में इंटरनेट पर काफी सक्रिय हैं और हिन्दीनामा के संस्थापक-संपादक हैं। इन्होंने आज से 6 साल पहले हिन्दीनामा की शुरुआत साल 2016 में की गई थी। 

हिन्दीनामा नए अच्छे लेखकों को मंच देता हैं जो पढ़ना चाहते हैं, अपने लेखन व रचनाओ को पाठकों के विशाल समूह के सामने प्रस्तुत करना चाहते है। यह नवोदित लेखकों को और भी बेहतर लिखने और भाषा और साहित्य के प्रति उनके योगदान को सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। यह सोशल मीडिया के माध्यम से समय-समय पर प्रसिद्ध लेखकों और उनकी रचनाओं को उनके जन्मदिन व पुण्यतिथि जैसे अवसरों पर पोस्ट करता है। हिन्दीनामा के वेबसाईट पर कविताएं, कहानिया, पुस्तक समीक्षाएं, रचनाकारों की जीवनी आदि प्रकाशित की जाती हैं। 

अंकुर मिश्रा, कविशाला (Ankur Mishra, Kavishala)

महज 31 साल इंजीनियर अंकुर मिश्रा दो कंपनियों के मालिक, एक ऑन्ट्रप्रनर, कवि व लेखक हैं, जो साहित्य के बेहतरीन प्लैटफॉर्म ‘कविशाला’ के फाउन्डर हैं। अंकुर ने इस स्टॉर्ट अप से साहित्य की दुनिया में हलचल मचा दी है, आज हर कोई कविशाला में अपनी प्रतिभा दिखाने और लिखने के लिए बेताब रहता है। 

मई 2016 में कविशाला की नींव रखी गई। यह नए कवियों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी कविता ऑनलाइन और ऑफलाइन लिख सकते हैं, साझा कर सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं। वेबसाइट और ऐप उन कवियों के एक साथ आने की सुविधा प्रदान करते हैं जो अपनी कविता साझा कर सकते हैं, दूसरों से जुड़ सकते हैं, कविता पढ़ सकते हैं और अपने काम पर अंतर्दृष्टिपूर्ण प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा कविशाला जयपुर, दिल्ली, लखनऊ और हैदराबाद जैसी अलग-अलग जगहों पर मीटअप भी आयोजित करती  है। अंकुर यूपी के हमीरपुर जिले से गिटकरी गांव से ताल्लुक रखते हैं, और ‘लव इज़ स्टील फ़्लर्ट’ नाम की एक नॉवेल लिखी।